Tuesday, October 20, 2009

TU

तू मेरी जिन्दगी के आइने पर एक लकीर के समान है जो कही गहरी और कही पतली है जब इन लकीरों की गहराई में में खो जाता हु तब में तुझे ठुन्द्ता हु बता तू कहा है में जानता हु तू यहाँ नहीं है मगर ये दिल है की कह रहा है तू यही है यही कही है

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